कजपुरा ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर लाखों का घोटाला, RTI एक्टिविस्ट ने उजागर की सच्चाई
अंबेडकर नगर जिले के जलालपुर विकासखंड अंतर्गत कजपुरा ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के नाम पर बड़े पैमाने पर घोटाले का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्राम प्रधान अफसाना बानो और ग्राम पंचायत अधिकारी दिवाकर वर्मा पर आपसी मिलीभगत से हैंडपंप रिबोर, स्ट्रीट लाइट, नाली निर्माण, इंटरलॉकिंग, मिट्टी पटाई और वृक्षारोपण जैसे कार्यों के नाम पर कागजी खानापूरी कर लाखों रुपये के गबन का आरोप लगा है। इस मामले को कजपुरा निवासी और आरटीआई एक्टिविस्ट ने उजागर किया है।RTI से खुली घोटाले की परतें
आरटीआई एक्टिविस्ट ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) जलालपुर से जनसूचना अधिकार (RTI) के तहत विकास कार्यों से संबंधित अभिलेख मांगे थे। राज्य सूचना आयोग, लखनऊ के आदेश के बाद ग्राम पंचायत अधिकारी दिवाकर वर्मा ने जल्दबाजी में 19 मई 2025 *को 218 पेज की आधी-अधूरी और अप्रमाणित सूचना उपलब्ध कराई।* यह सूचना जाफरगंज डाकघर से केवल कवरिंग लेटर पर हस्ताक्षर और मुहर के साथ भेजी गई। हैरानी की बात यह है कि उसी दिन दिवाकर वर्मा को लखनऊ में राज्य सूचना आयोग में भी उपस्थित होना था। यह सवाल उठता है कि एक सरकारी कर्मचारी एक ही समय में इतनी दूरी पर कैसे मौजूद हो सकता है? क्या कोई अन्य व्यक्ति उनके हस्ताक्षर और मुहर का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा?फर्जी कैश मेमो और संदिग्ध बाउचर
प्राप्त अभिलेखों में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। लाखों रुपये के कैश मेमो पर न तो हस्ताक्षर हैं, न तारीख, और न ही कोई मुहर। स्ट्रीट लाइट के लिए कोई कैश मेमो ही नहीं दिया गया, केवल पड़ोसी ग्राम पंचायत कांदीपुर का एक बाउचर दिया गया, जिसमें कजपुरा का नाम कलम से लिखा गया है। मिट्टी पटाई के लिए भी फर्म को भुगतान किया गया, जबकि यह कार्य मनरेगा मजदूरों से कराया जाना चाहिए। विशेष रूप से, जूनियर विद्यालय में हैंडपंप रिबोर के लिए 28 अगस्त 2024 को अरुषि इंटरप्राइजेज को 39,295 रुपये का भुगतान किया गया। लेकिन इस कार्य के लिए उपलब्ध कराए गए कैश मेमो में न हस्ताक्षर हैं, न तारीख, और न ही कुल मूल्य। गणना करने पर मेमो का कुल मूल्य केवल 30,000 रुपये निकलता है, जबकि भुगतान 39,295 रुपये का किया गया। यह स्पष्ट करता है कि ग्राम पंचायत में सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।
कानूनी नोटिस जारी, कार्रवाई की मांग
सत्यम श्रीवास्तव ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से खंड विकास अधिकारी जलालपुर, ग्राम पंचायत अधिकारी दिवाकर वर्मा, ग्राम प्रधान अफसाना बानो, और इंजीनियर सबी जेहरा को इस घोटाले के स्पष्टीकरण के लिए पंजीकृत डाक से कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है, ताकि सरकारी धन के दुरुपयोग पर अंकुश लगाया जा सके।
स्थानीय जनता में आक्रोश
इस घोटाले की खबर से कजपुरा और आसपास के गांवों में आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों का कहना है कि विकास कार्यों के नाम पर केवल कागजी घोड़े दौड़ाए गए, जबकि गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सत्यम श्रीवास्तव की इस पहल की स्थानीय लोग सराहना कर रहे हैं और उम्मीद जता रहे हैं कि इस मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
आगे की जांच जरूरी
यह मामला न केवल कजपुरा ग्राम पंचायत, बल्कि पूरे जिले में पंचायती राज व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। क्या इस घोटाले में और भी लोग शामिल हैं? क्या अन्य ग्राम पंचायतों में भी इसी तरह की अनियमितताएं हो रही हैं? इन सवालों के जवाब के लिए उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। सत्यम श्रीवास्तव ने कहा, “मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगा। यह जनता का पैसा है, और इसका हर पैसा गांव के विकास में लगना चाहिए, न कि अधिकारियों और नेताओं की जेब में।” इस मामले में प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह घोटाला जिले में सुशासन और पारदर्शिता के दावों की पोल खोल रहा है।