गाजियाबाद, सहयोग मंत्रा। जिले में बारिश शुरू होते ही सर्पदंश के मामले सामने आने लगे हैं। इस वर्ष वन विभाग की टीम ने जिले में अलग-अलग क्षेत्रों में 389 सांप पकड़कर जंगलों में छोड़ा। सिर्फ शहरी क्षेत्र में 289 सांप पकड़े गए हैं। जिले में सबसे अधिक घोड़ा पछाड़ प्रजाति के 121 सांप पकड़े गए हैं। शहरी क्षेत्र में 38 कोबरा, मोदीनगर 15 और लोनी क्षेत्र में 24 पकड़े गए।
वहीं घोड़ा पछाड़ प्रजाति के शहरी क्षेत्र में 39, मोदीनगर में 34 और लोनी क्षेत्र में 28 सांप पकड़े गए। वहीं, अन्य क्षेत्रों से भी सांप पकड़े गए हैं। दूसरी ओर जिले में सांप के काटने से दस लोगों की मौत भी हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोगों को इलाज से बचाया जा चुका है।
वन क्षेत्र (रेंजर) के आस-पास के क्षेत्रों में कोबरा, रसल वायपर, करैत, धामन, अजगर, घोड़ा पछाड़, पटरा गोह और चंदन गोह मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक मधुबन बापूधाम थाना, कई सोसायटियों और कालोनियों में मिल चुके हैं। सांप पकड़ने के लिए रोजाना पांच से सात फोन आते हैं।
न्यूरोटॉक्सिक जहर है कोबरा में
एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि सबसे जहरीला सांप कोबरा होता है। इसमें न्यूरोटॉक्सिक जहर होता है। यह नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करता है।
इसलिए सांप काटने पर तत्काल व्यक्ति को अस्पताल लेकर जाएं। क्योंकि समय पर इलाज मिला तो ही उसकी जान बचाई जा सकती है। सीएमओ डॉ. अखिलेश मोहन का कहना है कि सांप काटने पर दी जाने वाली एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) वैक्सीन सभी अस्पतालों में उपलब्ध है। एमएमजी अस्पताल में एएसवी की 250 वायल उपलब्ध है। जिले में 1000 वायल उपलब्ध है।
15 से 20 लोग सांप काटने पर पहुंच रहे अस्पताल
वर्षा के दौरान उमस होने पर बिलों में रहने वाले सांप बाहर निकलने लगते हैं। खेत, घर, गार्डन, किचन, वाहन, दुकान और जूतों में भी सांप घुस जाते हैं। किसी के हाथ और किसी के पैर पर सांप काटने पर परिजन चिंतित हो जाते हैं और नीम-हकीमों से जहर निकलवाने में समय बर्बाद कर देते हैं, जबकि सांप काटने पर तुरंत एएसवी का लगाया जाना बहुत जरूरी है।
सरकारी अस्पतालों में यह निशुल्क लगाई जाती है। पीएचसी और सीएचसी पर भी एएसवी उपलब्ध है। कई बार पांच से 10 वायल तक एक मरीज की जान बचाने के लिए लगानी पड़ती हैं। जिले में हर महीने 15 से 20 लोग सांप काटने के बाद अस्पतालों में पहुंचते हैं।
- बब्लू