बल्दीराय/सुलतानपुर, सहयोग मंत्रा । दीपावली मे जले पटाखों के प्रदूषण या फसलों पर खतरनाक पेस्टीसाइड के छिड़काव का है यह असर आखिर क्यों मर रही है मुनिया ? खाली पड़े घोंसले मुनिया के कुनबे पर आये संकट की कहानी बयां कर रहे हैं। पक्षी संरक्षण के लिये काम करने वाले लोगों ने चिंता जताई और पेस्टीसाइड के इस्तेमाल न करने की सलाह दी।
पर्यावरण के लिये संकट खडे कर रहे खतरनाक कीटनाशकों का असर और बढता पर्यावरण प्रदूषण का असर मानव और मिट्टी के साथ साथ उन तमाम जीव जंतुओं पर भी पड रहा है जो कृषि के हितैषी माने जाते है। इसी कडी मे गांव गली और चौबारो के साथ खेत खलिहानों मे फुदकने.वाली नन्ही चिडिय़ा जिसे मुनिया के नाम से जाना जाता है। विगत महीनों से इस पक्षी की मौत का अकारण सिलसिला चल पडा है। बीते बुधवार को खरकहिया गांव के निकट एक खेत के कुछ दूरी पर कई मुनिया पक्षी मृत मिले तो शनिवार को पाली गांव मे सुबह मुनिया पक्षी मृत मिले। जिसकी सूचना मिलने पर पक्षियो के संरक्षण के लिये काम करने वाली संस्था सेंचुरी वेल फेयर सोसायटी के कार्यकर्ता भी पंहुचे और अकारण मुनिया पक्षियों की हो रही मौत पर चिंता जताई। और लोगों को फसलों पर रासायनिक कीट नाशको के प्रयोग न करने की सलाह दी । संस्था के प्रबंधक हनुमान तिवारी ने बताया कि धान फसल और सब्जी फसलों को कीटों से बचाने. के लिये इधर हाल मे खूब अंधाधुध रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग. हुआ। इन कीटनाशकों का असर फसलों पर बराबर बना हुआ है। पक्षी भोजन के रूप मे फसलों के दानो को खा रहे हैं और प्रभावित हो रहे हैं। जिसके कारण मुनिया पक्षी के जीवन पर भी संकट खडा.हो रहा है। संभावना यह भी है कि मुनिया पक्षी ज्यादातर अपने घोंसले मानव आवादी के निकट छोटी झाडियों मे बनातें है। इधर दीपावली मे पटाखों को खूब जलाया गया। जिससे निकलने वाली खतरनाक गैसों से भी यह नन्हा जीव प्रभावित हुआ और इसके कुनबे पर संकट खडा हुआ। इस संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। मुनिया पक्षियों की संख्या तेजी से घट रही है जो इसके अस्तित्व पर बडा संकट है। हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि इसकी रक्षा करें और फसलों पर केमिकल युक्त पेस्टीसाइड का प्रयोग कम करें। घर से निकलने वाले कूंडे और खासकर सिंगलयूज प्लास्टिक, बेस्टेज को जलायें नहीं। क्योंकि इससे निकलने वाली गैसें जीव जगत के लिये संकट है।
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परगण क्रिया में बड़ी सहायक है मुनिया पक्षी
मुनिया पक्षी को भारतीय सिल्वरबिल के नाम से भी जाना जाता है। इस पक्षी की उपयोगिता पर गौर करें तो यह तमाम तरह के फसलों, पुष्पों, मे परागण क्रिया मे बडी सहायक है। इसे फसलों की बालियों और पुष्पों के ऊपर मंडराते हुये भोजन की तलाश करते देखा जा सकता है। यह चिंडिया झाडियों और लताओं के बीच समूह मे घोसला बनाकर रहना पसंद करती है।