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सुल्तानपुर : पीड़ितों को और पीड़ित करते है साइबर थाने के जिम्मेदार

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सुल्तानपुर,सहयोग मंत्रा । साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराना टेढ़ी खीर हो गई है। खाते से लाखों रुपए साइबर अपराधियों ने उड़ा दिए लेकिन पुलिस लाइन में स्थित साइबर दफ्तर में पीड़ितों की दरखास्त धूल फांक रही है। बगैर मुकदमा दर्ज किये यहाँ जांच की बात कहकर पीड़ितों को टरका दिया जाता है। वही लुटा हुआ पीड़ित जब बैंक से डिटेल लेने जाता है तो उसे कहा जाता है कि पहले एफआईआर कॉपी लाइए फिर संबंधित जांच में सहयोग की जाएगी । वहीं साइबर सेल के प्रभारी कहते हैं कि जब जांच साइबर सेल पुलिस कर रही है तो बैंक को एफआईआर कॉपी देने का क्या मतलब है ? जबकि साइबर सेल प्रभारी खुद स्वीकार कर रहे हैं कि बगैर एफआईआर दर्ज कराए भी जांच होती है। 
 बीते 4 नवंबर को साइबर थाना प्रभारी को दरखास्त देकर मुकदमा दर्ज करने का दरखास्त दी थी। पीड़ित मुकेश ने बताया कि उनके गर्भवती पत्नी को अनुदान देने के नाम पर फोन आया था और उनके खाते से लगभग 78000/-₹ खाते से गायब हो गए।। वह बैंक गए तो उन्हें बताया गया कि जाइए और एफआईआर कॉपी लाइए । दूसरा और तीसरा मामला गोसाईगंज थाना क्षेत्र के जासापारा गांव का है जहां पर मातृत्व लाभ योजना के लिए साइबर अपराधियों ने फोन करके दो लोगों के खातों से क्रमशः 20000/-₹ व लगभग 40000/-₹ हजारों रुपए उड़ा लिए।चौथा मामला शहर के हृदय स्थली चौक का है जहां पर फर्जी वेबसाइट से एक युवक को तकरीबन 15 लाख रुपए की चपत लगा दी गई । उसने मामले की शिकायत साइबर सेल को भी की। यहां तक कि उसने अपनी फरियाद क्षेत्राधिकार नगर से भी की लेकिन साइबर थाना प्रभारी ने भागदौड़ से बचने के लिए यानी होमवर्क कम करने के लिए प्राथमिक कि नहीं दर्ज की ।इसके अलावा भी कई मामले जिनको साइबर थाने द्वारा कोई सपोर्ट नहीं किया जा रहा है। ऐसे ही मिलते जुलते न जाने कितने मामले जिनको पुलिस दर्ज करने की बजाय ठंडा बस्ती में डाल देती है। कहीं तो भोले भाले ऐसे प्रार्थी हैं जिनको जांच के नाम पर दौड़ाया जाता रहता है । पता चला है कि तहरीर का वजन किया जाता है, जबकि साइबर से जुड़े अपराधों के लिए रोज नई तकरीबन रोज नई एडवाइजरी जारी हो रही लेकिन साइबर थाने की पुलिस एक्टिविटी शिथिल पड़ गई अब तो घटना का वर्कआउट का प्रेस नोट भी नहीं जारी हो रही।

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