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Ayodhya News: जिला अस्पताल में मदद की आड़ में चल रहा ठगी का खेल

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ओपीडी दवा वितरण कक्ष में कई युवा बिना ट्रेनिंग अनुमति के कर रहे मरीजों का दोहन

अयोध्या, सहयोग मंत्रा। लोग बीमार न हो तो शायद ही अस्पताल की सूरत देखे लेकिन जब उन्हें यहां आराम मिलने की बजाय मानसिक रूप से पीड़ा झेलनी पड़े तो उनका कष्ट और भी बढ़ जाता है। कुछ ऐसा ही हाल आजकल जिला चिकित्सालय में देखने को मिल रहा है, जहां आए दिन पीड़ित खुद को मदद की आड़ ठगा महसूस कर रहे हैं। 


   आलम यह है कि जिला अस्पताल परिसर में दलाल और अनाधिकृत रूप से घूम रहे युवा आने वाले मरीजों का दोहन करने से नहीं चूक रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे युवा हैं, जो तीन से छह माह की ट्रेनिंग करने के बाद पैसों की लालच में यहां रहते है और अस्पताल के कर्मचारियों के सह पर मरीजों का दोहन कर मोटी कमाई करते हैं।

 ताजा मामला शनिवार का है। जब बिना ट्रेनिंग अनुमति के यहां पर रह रहे एक अनाधिकृत युवक ने वरिष्ठ पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार किया। मामले की शिकायत पत्रकार ने प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय कुमार चौधरी से की तो उन्होंने मामले में जांच कराकर युवक के खिलाफ कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया।

 बता दें कि यह कोई नई घटना नहीं है, ऐसा ही वाक्या आए दिन यहां देखने को मिलता है। बताते चले कि दवा वितरण कक्ष के सामने ट्रेनिंग के दो डी फार्मा के छात्र की तैनाती है, लेकिन इससे इतर कई युवा अनाधिकृत रूप से यहां रह कर लोगों को मदद की आड़ में उनसे धन उगाही और ठगी करते हैं, जिससे आने वाले लोगों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है।

  मिली जानकारी के अनुसार शुभम मिश्रा, संजय  पाण्डे , विशाल यादव, दीपक गुप्ता जैसे लोग ट्रेनिंग पूरी करने के बाद भी जमे हुए हैं। ऐसे ही और भी लोगों का हाल है।

 हालांकि डी फार्मा इंटर्नशिप इंचार्ज कृपा शंकर चौधरी के रजिस्टर के अनुसार दवा वितरण कक्ष संख्या चार में  सुबह 8 से 2 बजे तक दो छात्र विजय वर्मा व छात्रा ब्यूटी की ड्यूटी है, जबकि कक्ष संख्या चार में दर्जनों की संख्या में युवक, युवतियां ड्रेस पहन कर दवा वितरण करती रहती हैं। ओपीडी दवा वितरण कक्ष इंचार्ज सीनियर फार्मासिस्ट राम सागर चौधरी के अनुसार कक्ष में उपस्थित सभी ट्रेनिंग कर रहे हैं। 

कक्ष इंचार्ज को हस्ताक्षर कर करना होता वेरिफाई

 बताते चलें कि कक्ष ट्रेनिंग करने वाले छात्रों के उपस्थित कागज पर प्रतिदिन कक्ष इंचार्ज को हस्ताक्षर कर वेरिफाई करना होता है। अब सवाल यह उठता है कि इंचार्ज की ऐसी क्या मजबूरी बनी हुई है कि ऐसे लोगों के समर्थन में सहमति प्रदान कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन से लोगों को उम्मीद है कि ऐसे अनाधिकृत लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। 

मैं मीटिंग में हूं : सीएमएस

हालांकि इस संबंध में जब जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एके सिन्हा से फोन पर वार्ता की गई तो उन्होंने मीटिंग में होने का हवाला देते हुए प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक से बात करने की बात कही और फोन काट दिया।

- भगौती प्रसाद 

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