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अयोध्या : राजकीय श्रीराम चिकित्सालय बना तथाकथित पत्रकार एवं दलालों का अड्डा, अस्पताल में हो रही जबरदस्त धन उगाही,

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डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आदेशों की  अस्पताल में उड़ रही धज्जियां...


राजकीय श्रीराम चिकित्सालय के फिजिशियन डॉक्टर लिख रहे बाहर की दवा...

ओपीडी और भर्ती मरीज के लिए बाहर से लिख रहे दवा...

मरीजों की तीमारदारों की जेब पर पड़ रहा बोझ...

अयोध्या धाम, सहयोग मंत्रा। अयोध्या धाम का हृदय स्थल क्षेत्र के रूप में माने जाने वाले अयोध्या तीर्थक्षेत्र की 100 शैय्या राजकीय श्री राम चिकित्सालय धन उगाही का अड्डा बनकर रह गया है। 


जन सूचना अधिकार अधिनियम के एक रिपोर्ट के अनुसार खुलासा हुआ है कि पैथोलॉजिस्ट से फिजिशियन बने डॉक्टर आए दिन सुर्खियों में रहते हैं।

  ऐसा माना जाता है कि जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत से ही यह कार्य सम्भव है तथाकथित डॉक्टर अस्पताल में मौजूद दलालों एवं बाहरी व्यक्तियों द्वारा अस्पताल आने वाले मरीजों एवं उनके तीमारदारों से सरकारी पर्चे पर बाहर की दवा एवं जांच के नाम पर जबरदस्त धन उगाही की जा रही है।


 अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण करने के उपरांत मरीजों को जांच के लिए अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट विभाग के चीफ डॉक्टर के पास भेजा जाता है परंतु डॉक्टर कभी भी पैथोलॉजिस्ट विभाग में उपस्थिति नहीं मिलते हैं । जबकि किसी भी बीमारी का इलाज जांच पर ही निर्भर होता है। जांच रिपोर्ट पर पैथोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर ही जांच रिपोर्ट के सही व गलत रिपोर्ट की पुष्टि करता है।


  परंतु इस अस्पताल में पूर्ण रूप से अराजकता व्याप्त है। पैथोलॉजिस्ट को फिजिशियन डॉक्टर बनकर बाहर से कमीशन वाली दवाइयां व जांच को लिखकर जो आनंद सुख प्राप्त होता है वह पैथोलॉजिस्ट के कार्यों में कहां मिलेगा।


 पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर जिस भाषा शैली से फिजिशियन बनकर पर्चे पर दवा लिखते हैं वह शायद ही कमीशन वाली दवाओं की दुकानों को छोड़कर अन्य किसी मेडिकल स्टोर का व्यक्ति दवाओं का नाम पढ सकता है। व्यक्ति तो दूर की बात है डॉक्टर साहब की भाषा शैली कंप्यूटर भी पढ़ने में असमर्थ हो जाएगा।


  आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश शासन का साफ शब्दों में कहना है कि डॉक्टर पर्चो पर साफ शब्दों में दवाओं का नाम लिखें जिससे रोगी व तीमारदार को अपने बीमारी के  सही व गलत दवाइयां के विषय में जानकारी मिल सके ।


 OPD के फिजिशियन डॉक्टर  की अवैध धन उगाही शाहिद खान नामक व्यक्ति जो अपने आप को एक जाने माने अखबार का तथाकथित पत्रकार बताता है , सुबह 8:00 से लेकर दोपहर के 2:00 बजे तक डॉक्टर के कक्ष संख्या 9 के सामने खड़े होकर मरीजों एवं तीमारदार  का पर्चा कलेक्ट कर उस पर अपना राय देते हुए मिल जाता है।


इस बात की पुष्टि करने के लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे में देखा जा सकता है।


     डॉक्टरों के देशव्यापी हड़ताल की खबर को कवर करने जब शनिवार को सुबह लगभग नौ बजे पत्रकार अस्पताल में पहुंचा तो वहां कक्ष संख्या 9 में OPD चलती मिली। इस पर जब पत्रकार ने फोटो खींचने का प्रयास किया तो खबर संकलन व फोटो खींचने को लेकर  डॉक्टर साहब के व्यक्तिगत दलाल शाहिद खान ने पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार किया और मोबाइल पकड़ लिया। मोबाइल पकड़े हुए ही शाहिद ने कक्ष संख्या 9 में बैठे डॉक्टर को आवाज लगाई और कहा कि साहब यही फलां पत्रकार है और वहां परिसर में मौजूद आठ दस अपने साथियों को  इशारे से दिखाया कि यही है।   इस घटना से  पत्रकार के मन में भय बैठ गया है कि उसके साथ कोई अनहोनी घटना कभी भी घट सकती है।


इसकी सूचना पत्रकार ने अपने अखबार के संपादक को फोन कर दिया और अपने अन्य पत्रकार साथियों के साथ घटना की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से करना चाहा जो मौके पर उपस्थित नहीं थे , पता चला कि वीडियो कांफ्रेंसिंग मीटिंग में गए हैं। तो पत्रकारों ने व्यक्तिगत दलाल के खिलाफ प्रशासनिक अधिकारी वाई पी सिंह से की तथा आने वाले 21/8/24 तारीख को पत्रकारों का एक समूह लिखित रूप से अस्पताल में दलालों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने के संबंध में एक जुटता के साथ कार्यवाही की मांग करेंगे।


बता दें कि अराजकता एवं दलालों को लेकर पत्रकारों ने प्रशासनिक अधिकारी के सामने जमकर हंगामा काटा। इसके बाद शर्मसार हुए कथित दलाल ने पत्रकारों से क्षमा याचना करते हुए अपनी गलती स्वीकार की  व पुनरावृत्ति न किए जाने की बात कही।


 वहीं प्रशासनिक अधिकारी वाई पी सिंह ने पत्रकारों के सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकार पूर्ण रूप से चिकित्सालय में सुरक्षित हैं यदि उनके साथ कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी राजकीय श्री राम चिकित्सालय प्रशासन की होगी। पत्रकारों ने इस बात को लिखित तौर पर दिए जाने की बात कही ।


      बताते चलें कि 100 शैय्या राजकीय श्री राम चिकित्सालय अयोध्या धाम में विगत कुछ दिन पूर्व अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा बाहर स्थित मेडिकल स्टोर से दवाई लिखे जाने का सिलसिला मीडिया ने प्रमुखता से उजागर किया था। तब जाकर अस्पताल के सीएमएस की नींद टूटी और उन्होंने डॉक्टर को कड़ी हिदायत देकर अस्पताल के बाहर की दवा कतई न लिखे जाने का मौखिक आदेश निर्देश दिया था। सीएमएस के निर्देश के बाद अस्पताल के डॉक्टरो में तो कुछ सुधार आया किंतु अस्पताल के डॉक्टरो ने व्यक्तिगत तौर पर प्राइवेट व्यक्ति रख लिये और अस्पताल आने वाले मरीजों को अपना निशाना बनाने लगे । जिसके चलते मरीजों एवं उनके तीमारदारों को चिन्हित मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदने एवं उन्हें लाकर दिखाने की बात कर मरीजों एवं तीमारदरों की जेबें ढीली करने लगे।


 अस्पताल के CMS का बयान केवल हवा हवाई दिखाई पड़ता है क्योंकि उनके आदेशों निर्देशों को कोई अब तक मानने वाला नहीं दिखाई पड़ा ।  इन्हीं तथाकथित दलालों के चलते अस्पताल में आये दिन हंगामा होता रहता है। अस्पताल के ओपीडी में बैठे अन्य चिकित्सक भी अपने साथ-साथ एक बाहरी व्यक्ति को बैठाए रखते हैं। जो अवैध कमाई और वसूली में डॉक्टर के लिए सेतु का काम करते हैं।


 बताते चलें कि हाल फिलहाल में  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि विभाग में प्राइवेट व्यक्ति किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे । न ही रखे जाएंगे परन्तु  इस अस्पताल में उत्तर प्रदेश शासन की मंशा पूरी तरह से फलाप दिखती नजर आ रही है ।


 फिलहाल राजकीय श्री राम चिकित्सालय इस समय पूरी तरह से दलालों के चंगुल में फंस गया है। जिसका खामियाजा अस्पताल पर आने वाले मरीजों को अपनी जेब ढीली कर भुगतना पड़ रहा है।


ऐसे में देखने वाली बात होगी कि जहां सीएमएस अपने आदेशों का पालन करवाने में पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं तो क्या ऐसे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी या जिलाधिकारी की नजरें अस्पताल पर पड़ेंगी , क्या उक्त समस्याओं से अस्पताल कभी मुक्त हो सकेगा, क्या पत्रकार खुलकर अस्पताल परिसर में अपना कार्य सुचारू ढंग से कर सकेगा। क्या अस्पताल में मौजूद दलालों पर जिलाधिकारी महोदय कोई सख्त कदम उठाएंगे।


- पवन खरवार

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