हिसार ,सहयोग मंत्रा । चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएसएचएयू) ने विकसित बाजरे की उन्नत किस्मों के तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुये आंध्र प्रदेश की सम्पूर्णा सीड्स कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने सोमवार को बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित उन्नत किस्में ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचे, इसके लिये विभिन्न राज्यों की कंपनियों के साथ समझौते (एमओयू) किए जा रहे हैं। उपरोक्त समझौते के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की एचएचबी 67 संशोधित-2 का बीज तैयार कर कंपनी किसानों तक पहुंचाएगी ताकि उन्हें इस किस्म का विश्वसनीय बीज मिल सकें और उनकी पैदावार में इजाफा हो सकें।
विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर अनुसंधान निदेशक डॉ राजबीर गर्ग ने तथा आंध्र प्रदेश की सम्पूर्णा सीड्स कंपनी की तरफ से श्री वाई रमेश ने हस्ताक्षर किये हैं। मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ रमेश यादव ने बताया कि समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद अब कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस अदा करेगी, जिसके तहत उसे बीज का उत्पादन व विपणन करने का अधिकार प्राप्त होगा। इसके बाद किसानों को भी इस उन्नत किस्म का बीज मिल सकेगा। बाजरा अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव ने बताया कि एचएचबी-67 संशोधित 2 बाजरा की सुप्रसिद्ध संकर किस्म एचएचबी 67 संशोधित का जोगिया रोग प्रतिरोधी उन्नत रूपांतरण है। यह संकर किस्म हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के बारानी क्षेत्रों में आम काश्त के लिए 2021 में अनुमोदित की गई है। एच एच बी 67 संशोधित के नर जनक एच77/833-2-202 को चिह्नित (मार्कर) सहायक चयन द्वारा जोगिया रोग प्रतिरोधी बनाया गया है। इस नयी विकसित संकर किस्म एचएचबी 67 संशोधित 2 में एचएचबी 67 संशोधित के सभी गुण जैसे कि अतिशीघ्र पकना, शुष्क रोधिता, अगेती, मध्यम और पछेती बुवाई, दाने और चारे की अच्छी गुणवत्ता विद्यमान हैं। इसके दाने और सूखे चारे की औसत उपज क्रमश: 8.0 क्विंटल तथा 20.9 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह नयी संशोधित संकर किस्म बेहतर प्रबंधन से और भी अच्छे परिणाम देती है और बाजरा की अन्य बीमारियों के रोगरोधी है।