अंबेडकर नगर, सहयोग मंत्रा। जिला पूर्ति विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि हर माह लाखों रुपये की अवैध कमाई हो रही है। सप्लाई महकमे के भ्रष्ट कर्मियों पर प्रदेश सरकार की सख्ती का कोई असर नहीं दिख रहा है। योगी आदित्यनाथ जैसे सख्त मुख्यमंत्री के शासनकाल में भी विभाग के बाबू और कर्मचारी घूसखोरी में लगे हुए हैं। ये कर्मचारी प्रदेश सरकार की सख्ती का हवाला देकर कोटेदारों से मनमानी वसूली कर रहे हैं, जिससे सप्लाई महकमा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।
30 वर्षों से एक ही स्थान पर तैनात बड़े बाबू
जिला पूर्ति विभाग के जिला मुख्यालय स्थित कार्यालय में कार्यरत बड़े बाबू पिछले 30 वर्षों से यहां डटे हुए हैं। विभाग के सभी महत्वपूर्ण कार्य इनके हाथों से ही निष्पादित होते हैं। इस प्रधान सहायक के तबादले की मांगें वर्षों से की जा रही हैं, लेकिन इनकी अनदेखी करना आश्चर्य का विषय है।
कोटेदारों से हो रही है मनमानी वसूली
सूत्रों के अनुसार, कोटेदारों से वसूला गया पैसा सप्लाई इंस्पेक्टर के माध्यम से बड़े बाबू तक पहुंचाया जाता है। यह बड़े बाबू अपने हिसाब से इस पैसे का बंटवारा करते हैं। इसमें सप्लाई इंस्पेक्टर को बिचौलिए के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि असल भ्रष्टाचार का सूत्रधार बड़े बाबू खुद होते हैं।
पुराना बाबू बना है निर्भीक भ्रष्टाचार का प्रणेता
विभागीय सूत्रों का कहना है कि डीसीओ ऑफिस के सबसे पुराने दो सहायक जिले की वितरण प्रणाली को नियंत्रित करते हैं। इनमें से एक उर्दू अनुवादक के पद पर नियुक्त है, जिसका तबादला अन्यत्र नहीं किया जा सकता। इस कारण यह निर्भीक होकर भ्रष्टाचार में लिप्त है। दूसरा बाबू, जिसने चतुर्थ श्रेणी कर्मी के रूप में सेवा शुरू की थी, अब वरिष्ठ सहायक बन गया है। इस बाबू के पास पेट्रोलियम डीलर्स के कार्यों का निष्पादन है और यह हर माह लाखों रुपये की अवैध कमाई कर रहा है।
कोटेदारों का हो रहा है शोषण
अकबरपुर ब्लॉक के ग्रामीण और नगर पालिका क्षेत्र के कोटेदारों का जबरदस्त शोषण हो रहा है। यह शोषण पूर्ति निरीक्षक और प्रधान सहायक की मिलीभगत से हो रहा है। कोटेदारों से प्रति कुंटल राशन के पीछे विभाग 35 रुपये फिक्स कर चुका है, जिससे जनपद के 1120 कोटेदारों से हर महीने 32 से 35 लाख रुपये की अवैध वसूली होती है।
लिखित शिकायत करने से डरते हैं कोटेदार
कोटेदारों को इस अवैध वसूली के खिलाफ लिखित शिकायत करने में भी डर लगता है, क्योंकि उन्हें कोटा निरस्त होने का भय सताता है। इसलिए वे लाभार्थियों से प्रति यूनिट एक किलो की कटौती कर विभागीय अधिकारियों की मांग पूरी कर रहे हैं।
शासन स्तर से जांच की आवश्यकता
सप्लाई महकमे में फैले इस भ्रष्टाचार की जांच अगर शासन स्तर से हो, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त कार्यकाल में भी सप्लाई महकमे के अधिकारी और कर्मचारी अपनी जेब भरने के लिए किसी न किसी तरीके से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे में आवश्यक है कि इस मामले की निष्पक्ष और सख्त जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।