माननीय उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की दी है तारीख...
बढ़ सकती अधिकारियों की मुश्किलें...
अंबेडकर नगर, सहयोग मंत्रा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नगपुर जलालपुर में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही और इलाज में भारी चूक को उजागर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस प्रकरण ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता पर भी सीधा हमला बोला है।
अब अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए पत्रकारों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ खंडपीठ में न्याय की गुहार लगाई है।
सड़क हादसे से खुली स्वास्थ्य विभाग की पोल
18 अप्रैल 2025 को हुए सड़क हादसे में घायल दो व्यक्तियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नगपुर जलालपुर लाया गया था, जहां समय पर उचित इलाज न मिलने के कारण दोनों की दुखद मृत्यु हो गई। इस गंभीर लापरवाही की सूचना मिलने पर वरिष्ठ पत्रकार प्रेम सागर विश्वकर्मा और संजीव कुमार यादव मौके पर पहुंचे और अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्था तथा चिकित्सकों की गैरजिम्मेदारी को उजागर किया।
पत्रकारों ने इस लापरवाही के ठोस साक्ष्य , वीडियो, फोटो और तथ्य एकत्र कर समाचार माध्यमों और सोशल मीडिया के जरिए आमजन तक पहुंचाया ,जिससे स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई।
...लापरवाही छुपाने के लिए पत्रकारों पर दर्ज कराया गया फर्जी मुकदमा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए एक सुनियोजित साजिश के तहत पत्रकारों पर झूठे आरोप लगाते हुए फर्जी प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप लगाए गए कि पत्रकारों ने अस्पताल परिसर में अव्यवस्था फैलाई और कर्मचारियों को धमकाया, जबकि पत्रकारों के पास घटना से जुड़ी तमाम प्रमाणिकता वाले साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो उनके निर्दोष होने की पुष्टि करते हैं।
उच्च न्यायालय में न्याय की गुहार
अपने खिलाफ दर्ज फर्जी मुकदमे को चुनौती देने के लिए पत्रकार प्रेम सागर विश्वकर्मा और संजीव कुमार यादव ने अपने अधिवक्ता विशाल त्रिपाठी के माध्यम से इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में एक याचिका दाखिल की है। याचिका में प्राथमिकी को रद्द करने तथा मामले में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग की गई है।
माननीय उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 29 अप्रैल 2025 की तिथि नियत की है, जिससे पत्रकार समुदाय को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
यह प्रकरण स्पष्ट करता है कि जब पत्रकार जनहित में व्यवस्था की खामियों को उजागर करते हैं, तब व्यवस्था में बैठे कुछ भ्रष्ट और लापरवा अपनी कुर्सी बचाने के लिए सच्चाई को दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन अब पत्रकारों ने साफ संदेश दे दिया है कि वे सत्य और जनहित के लिए किसी भी कीमत पर अपनी कलम नहीं झुकने देंगे।