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Ambedkar Nagar किछौछा नगर पंचायत में तालाब पर अवैध कब्जे का आरोप, भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई सवालों के घेरे में

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किछौछा नगर पंचायत में तालाब पर अवैध कब्जे का आरोप, भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई सवालों के घेरे में


 नगर पंचायत अध्यक्ष पर मिलीभगत के आरोप, ग्रामीणों में आक्रोश


अंबेडकर नगर, किछौछा।

प्रदेश में डबल इंजन सरकार जहां अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर सख्त कार्रवाई का दावा कर रही है, वहीं जनपद अंबेडकर नगर के  नगर पंचायत  अशरफपुर किछौछा क्षेत्र में हालात इसके उलट नजर आ रहे हैं। तालाब, खलिहान जैसी सार्वजनिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। खासकर वार्ड नंबर 10 के ग्रामवासियों का आरोप है कि गाटा संख्या 1263, जो कि एक राजस्व तालाब की जमीन है, उस पर भू-माफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है।


 राजेश मौर्य का आरोप – भू-माफियाओं को मिल रहा संरक्षण

स्थानीय निवासी राजेश मौर्य ने आरोप लगाया है कि नगर पंचायत के वार्ड नंबर 10 में भू-माफिया तालाब की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे हैं। जब स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध किया, तो विरोध करने वाले नगरवासी विनोद को पुलिस थाने में बैठा लिया गया। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है।


 थाना अध्यक्ष की सफाई

इस मामले में जब मीडिया कर्मियों ने थाना अध्यक्ष संत कुमार सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि विरोध करने वाले विनोद द्वारा नगर पंचायत अध्यक्ष ओमकार गुप्ता के खिलाफ गाली-गलौज किए जाने के कारण उसे थाने लाया गया। पूछने पर कि क्या दोनों पक्षों को थाने बुलाया गया था, थाना अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि केवल गाली देने वाले को ही बैठाया गया।


 नगर पंचायत अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल

नगर पंचायत अध्यक्ष ओमकार गुप्ता की भूमिका पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कब्जा करने वाला व्यक्ति अध्यक्ष का करीबी है। ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर नगर पंचायत अध्यक्ष अपने लोगों पर मेहरबान और विरोधियों पर सख्ती क्यों बरत रहे हैं? वार्ड नंबर 10 के सौ से अधिक लोगों ने थाने पहुंच कर अपनी नाराजगी जाहिर की।


 पैमाइश की बात, निष्पक्ष जांच की मांग

थाना अध्यक्ष ने बताया कि विवादित स्थल की राजस्व पैमाइश कल करवाई जाएगी, जिसके बाद स्थिति स्पष्ट होगी। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले में कितनी पारदर्शिता दिखाते हैं या फिर सत्ता पक्ष के दबाव में निष्पक्ष कार्रवाई दम तोड़ देती है।

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