By : Kumar Mukesh
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25-04-2025  05:03:10
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Heath Tips : हमेशा से हमें जल्दी सोकर सुबह जल्दी उठने की सलाह मिली है, लेकिन हाल ही में सामने आए एक अध्ययन से पता चला है कि अगर किशोर जल्दी सो जाते हैं और अधिक समय तक सोते हैं तो उनका दिमाग तेज होता है।
इसके अतिरिक्त वे अन्य की तुलना में संज्ञानात्मक परीक्षणों में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।
आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
3,000 से अधिक किशोरों पर किया गया अध्ययन
यह अध्ययन 3,000 से अधिक किशोरों पर किया गया, जिससे पता चला है कि जो किशोर सबसे पहले सो जाते हैं और लंबे समय तक सोते हैं, साथ ही जिनकी नींद के दौरान हृदय गति कम होती है, वे पढ़ने, शब्दावली, समस्या समाधान और अन्य मानसिक परिक्षणों में दूसरों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, 13 से 18 वर्ष के बच्चों को 8-10 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
इस तरह से किया गया अध्ययन
इस अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों के मस्तिष्क स्कैन, संज्ञानात्मक परीक्षण किया गया और फिटबिट का इस्तेमाल करके उनकी नींद को ट्रैक किया गया।
किशोरों को तीन समूहों में बांटा गया। पहला समूह में से 39 प्रतिशत रात में 7 घंटे और 10 मिनट सोएं, जबकि दूसरे समूह में से 24 प्रतिशत किशोर 7 घंटे और 21 मिनट सोएं।
तीसरे समूह में शामिल 37 प्रतिशत किशोर 7 घंटे और 25 मिनट सोएं। साथ ही नींद में हृदय गति भी कम थी।
बेहतर नींद से होता है संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास- बारबरा साहकियन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में क्लिनिकल न्यूरोसाइकोलॉजी की प्रोफेसर बारबरा साहकियन ने कहा, हमें लगता है कि नींद बेहतर संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्रेरित करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम नींद के दौरान अपनी यादों को मजबूत करते हैं।
शंघाई में फुडन विश्वविद्यालय के साहकियन की टीम और शोधकर्ताओं ने किशोर मस्तिष्क संज्ञानात्मक विकास अध्ययन में 3,222 युवाओं के डेटा का विश्लेषण किया, जो अमेरिका में मस्तिष्क विकास और बाल स्वास्थ्य पर सबसे बड़ी दीर्घकालिक जांच है।
नींद में मामूली अंतर भी डाल सकता है शरीर पर बड़ा प्रभाव साहकियन ने कहा कि यह आश्चर्यजनक था कि नींद में मामूली अंतर का इतना प्रभाव पड़ा।
उन्होंने आगे कहा, यह अध्ययन सुझाव देता है कि नींद की मात्रा में छोटे अंतर समय के साथ परिणामों में बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं।
यॉर्क विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर गैरेथ गैसकेल ने कहा कि वह किशोरावस्था से जुड़े अध्ययनों के तरीके को और अधिक देखना चाहते हैं ताकि वे उन किशोरों की मदद कर सकें, जिनका नींद पैटर्न शायद कमजोर हो।