अध्ययन के मुताबिक सुरंगों और गुफाओं के छिपे हुए नेटवर्क के जरिए समुद्र से जुड़ा हो सकता है। ब्लू होल पानी से भरे सिंकहोल होते हैं, जो तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनकी आधारशिला चूना पत्थर, संगमरमर या जिप्सम जैसे घुलनशील सामग्री से बनी होती है। वे तब बनते हैं, जब सतह पर पानी चट्टान के माध्यम से रिसता है, खनिजों को घोलता है और दरारें चौड़ी करता है। जिसके बाद अंत में चट्टान ढह जाती है। बहामास में डीन का ब्लू होल और मिस्र में दहाब ब्लू होल भी इसका उदाहरण है। इससे पहले दुनिया का सबसे गहरा ब्लू होल दक्षिण चीन सागर का संशा योंगले ब्लू होल था। इसकी गहराई 301 मीटर है, जिसे ड्रैगन होल के नाम से जाना जाता है। फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस जर्नल में सोमवार को एक अध्ययन प्रकाशित हुआ। इसमें शोधकर्ताओं ने लिखा, 6 दिसंबर 2023 को प्रचलित पर्यावरणीय स्थितियों की पहचान करने के लिए एक स्कूबा डाइविंग अभियान आयोजित किया गया था।
इस अभियान के दौरान शोधकर्ताओं ने चालकता, तापमान और गहराई प्रोफाइलर के साथ माप लिया। इस दौरान एक उपकरण से पानी के रियलटाइम गुणों की पहचान की गई। स्टडी में लिखा गया, डेटा से पता चलता है कि ताम जा ब्लू होल दुनिया का सबसे गहरा ज्ञात ब्लू होल है, जिसके तल तक अभी भी नहीं पहुंचा जा सका है।
प्रोफाइलर ने ब्लू होल के अंदर पानी की विभिन्न परतों पर भी प्रकाश डाला। इसमें 400 मीटर से नीचे भी पानी की एक लेयर शामिल है, जहां तापमान और लवणता की स्थिति कैरेबियन सागर के आसपास के तटीय रीफ लैगून के समान थी।