यूपी गो सेवा आयोग सदस्य ने कहा— खेती में भी लाभकारी, जनजागरण जरूरी
सुलतानपुर, सहयोग मंत्रा। गौशालाएं केवल गायों के संरक्षण का केंद्र नहीं, बल्कि मानव कल्याण का माध्यम भी बन सकती हैं। यह कहना है उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय का, जिन्होंने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान गौ सेवा और पंचगव्य चिकित्सा की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना है कि प्रदेश की हर गौशाला में गायें स्वस्थ और सुखी रहें। इसी दिशा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय योजना की तर्ज पर गौशालाओं का विकास किया जा रहा है। बैठक में उपाध्याय ने बताया कि अब तक जिन गौशालाओं में कमियां पाई गईं हैं, उन्हें चिह्नित कर शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
गौमूत्र में कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि पंचगव्य चिकित्सा, जिसमें दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर शामिल हैं, आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें कई गंभीर रोगों के समाधान छिपे हैं। उपाध्याय ने जोर देते हुए कहा, जब तक किसान गोबर और गौमूत्र के फायदे नहीं समझेंगे, तब तक गौशालाओं की उपयोगिता अधूरी रहेगी। खेती में इनका प्रयोग रासायनिक खादों का प्राकृतिक विकल्प बन सकता है।
उन्होंने जनजागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि लोगों को गौ आधारित जीवनशैली और चिकित्सा के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। इससे न सिर्फ बीमारियों से लड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। उपाध्याय ने अंत में कहा कि जब तक इस दिशा में ठोस जनभागीदारी नहीं होगी, तब तक सिर्फ संरचनात्मक विकास से अपेक्षित परिवर्तन संभव नहीं होगा।
- श्रवण शर्मा